"एक प्रेम कहानी तारों से ज़मीन तक की " ( true love story )

 "एक प्रेम कहानी तारों से ज़मीन तक  "



दिल को छू जाने वाली प्रेम कहानियां अगर किताबों में से निकलकर वास्तविकता में दिख जाए तो प्यार के होने पर और मजबूती सी दिख जाती है, ऐसे ही एक दिन नम्रता और विनय की लव स्टोरी दिख गई मुझको... एक जिंदगी होती है जहाँ दुनियां को दिखाना होता है और दूसरी दुनियां जहाँ आप खुद के अंदर एक पूरी दुनियां लेकर जीते हो और मैंने कुछ चंद लम्हों में नम्रता के संग किसी और को भी देख़ लिया, जो ना होकर भी उसके संग हमेशा है ( था इसलिये नहीं क्यूंकि हमेशा वो नम्रता के संग ही दिखा )....

 नम्रता जब भी कोई स्टोरी डालती उसको समझने का और मन करता क्योंकि हर पोस्ट में उसके पास उसके विनय होते हैं, आजकल के वक्त में जब भी कोई लव स्टोरी देखती हूं तो बहुत अच्छा लगता है और मैं ऐसे लोगों को हमेशा अपने पास रखना चाहती हूं और देखना भी, मेरे कुछ दोस्त अक्सर मुझसे कहा करते थे मैं बहुत फिल्मी बातें करती हूं मेरी बातों में अक्सर हवा नदी सुकून कहानियां किताबें और इश्क़ हुआ करता था, जो लड़की इमोशनल सीन देखकर रो सकती है सोचिए उसमें कितने जज्बात होंगे, बस ऐसे ही कुछ मेरे साथ है लोगों की भीड़ में मैं कान्हा से यही कहती हूं जो मेरे लिए अच्छा नहीं उससे मुझे दूर कर दे और जो अच्छा हो उसे पास रखे...


 नम्रता जैसे लोगों को मिलवाने में कहीं ना कहीं कान्हा का भी बहुत बड़ा हाथ है, उसके घर में भी मोर पंख हैं और मेरे को मोर पंख से कितना लगाव है यह मेरे आस-पास के सब लोग जानते हैं..


  नम्रता के हाथ में एक घड़ी जो कई बार दिखी, घड़ी अजीब नहीं थी पर उसकी कलाई में वह कुछ ज्यादा ही बड़ी थी, पर वह जिस तरह उसको पहनती थी सहेजती थी, मुझको पता चल रहा था उसमें उसके विनय के कितने एहसास होंगे, जो वक्त उसके जाने के बाद रुक गया था वह पहन कर उसकी यादों को उसने रोका नहीं चलने दिया था, उसने प्यार की परिभाषा को सार्थक किया कि किसी अपने के जाने के बाद वक्त रुकता नहीं बल्कि उसके एहसासों को पास रखकर गति के साथ चलायमान रहता है ||

 एक दिन बड़ी जागरूकता के साथ मैंने पूछ लिया उससे, जबकि जवाब मुझको मन ही मन में पता था पर कहीं ना कहीं मैं यह जानना भी चाहती थी क्या मैं एक प्यार में डूबी लड़की को जानती हूँ क्या इतनी खराब दुनिया में जहां अधिकतर नाम के रिश्तो का ढोया जाता है बे मन से, वहां एक लड़की किसी के जाने के बाद भी उसके प्यार को खुद में समेटे हुए है, मैंने अबकी बार पूछ ही लिया उससे - 


: सुनो एक बात पूछूं


नम्रता : हाँ ज़ी ( थोड़ी सकुचाई सी )


: क्या यह घड़ी विनय की है..???


नम्रता : जी यह उनकी ही है 


 कितनी खुशी होती है ना ऐसे लोगों को देखकर मुझको भी वैसी ही हुई फिर देखा उस घड़ी में विनय के फोटो आ रहे थे उसकी स्क्रीन पर वह कोई भी मौका नहीं छोड़ना चाहती थी विनय को देखे बिना,

 विनय को मैंने कभी देखा नहीं पर पाया हमेशा नमृता में उसके जाने के बाद भी, उसको इतने प्यार से खुद में सहेज कर रखा हुआ है आज भी कभी नम्रता के गले में विनय की माला दिख जाती है, तो कभी किसी पुरानी फोटो में विनय की चेक वाली शर्ट ममता ने पहन रखी है, तो कभी कैप... उसने विनय के नाम का एक कोना अपने लिए सुरक्षित किया हुआ है जहां घंटों बैठकर विनय से बात कर सकती है, वह कोना उसके सुकून का है अक्सर मैं वहां उसको देखती हूं ||


 अक्सर ऐसे लोगों को देख रही हूं 2023 में जो साथ तो रहते हैं पर बिना किसी खुशी के, प्यार बस नाम का घूमने-फिरने तक सीमित रह गया है... वही नम्रता जैसे लोगों को देखकर लगता है आज भी कुछ खास लोगों में ऊपर वालों ने प्यार छोड़ा हुआ है


 ऐसे ही किसी शाम में बैठी गाने सुन रहे थे अपने परिवार के साथ कि फिर से नम्रता ने अपनी एक स्टोरी के साथ दिखी, मेरे अंदर वही उत्सुकता पहले जैसी जब खोला तो मेरी नजरों ने जो देखा वह था


  दीवार पर हमेशा की तरह कई सारे विनय के बहुत सारे फोटो साथ में रखे थे मोर पंख ( मोर पंख मेरे लिए हमेशा खास है और मेरा मानना है यह प्यार का प्रतीक है और कृष्ण राधा का भी, क्या पता मेरे कान्हा ने ही नमिता से यू मिलवाया हो, क्योंकि बहुत दिनों से मैं कुछ कहानी लिखना चाह रही थी और आज नम्रता विनय की प्रेम कहानी के कुछ अंश लिख रही हूँ श्री राधे कृष्णा )


 दीवार पर कुछ फोटोस, मोर पंख, कैप और कुछ गुलाब जो अधिकतर दिखते थे और खुशबूदार महक 

और सुनहरी रोशनी बिखरी हुई सी, और सामने पड़ा था एक "काला संदूक" कुछ अजीब सा लगा आजकल कौन संदूक को संभाल के रखता है यह नम्रता है प्यार में डूबी हुई, जहां से मैंने देखा उसने संदूक को बड़े ही प्यार से सहेज कर रखा हुआ था मन में कुछ शब्दों का ताना-बाना बुना जो मैंने कुछ इस तरह लिखा :


" उसके सामने बंद संदूक में हमने

 यादों को समेट कर आज भी

 संभाल कर रखा हुआ है,

 उसमें कुछ यादें बचपन की हैं

जब उससे हम मिले थे,

कुछ यादें गठबंधन की है

जब उससे हम जुड़े थे,

कुछ सूखे ग़ुलाब जो कभी दिये थे उन्होंने,

 तो कुछ कागजों का भंडार जिसमें प्रेमपत्र लिखे थे

आज भी उस संदूक को बड़े सलीके से सजा रखा है,

 कभी आओ रात की चांदनी में हम दोनों के पास,

 मैं उसकी यादों को संदूक में से एक एक करके

 उसकी अनगिनत बातों का पिटारा खोलकर सुनाऊंगी

बस तुम लेकर आना एक चीज "वक़्त" 

क्यूंकि यादें और बातें अनगिनत है हमारे प्यार की "


 बस मैंने लिखा और उसको भेज दिया जैसे मैंने सोचा वह सब लिख दिया और वह सब सच था उसके संदूक में विनय की यादों का भंडार है, कुछ तो रिश्ता बना है हम दोनों के बीच वह मेरी कहानी की बहुत सुंदर किरदार है, जिसको जीते हुए मैंने विनय के संग देखा और अपनी कहानी में ऊकेर दिया, एक ऐसा रिश्ता है जहां लेनदेन कुछ नहीं है पर हाँ एहसास बहुत हैं ||


 बड़ा मुश्किल होता है जिसके साथ जिंदगी भर साथ रहना हो और वह साथ मझधार में ही छोड़ दे, मैं बस उसको हिम्मत दे सकती हूं और मेरी किसी बात से उसके खूबसूरत चेहरे पर मुस्कुराहट आ जाए तो मुझको लगेगा मैं एक माध्यम बनी और कृष्ण राधा ने मुझको वह माध्यम बनाया किसी के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने का....


 बहुत आसान होता है किसी को यह कहना हिम्मत से काम लो, यह तो वही जान सकता है जो हिम्मत दिखा रहा होता है कृष्णा नम्रता को बहुत हिम्मत और सब्र दे, जो उससे लिया है उसको सहने की और उसके बच्चों को काबिल बनाकर उसको वह सब दे जिसकी वह हकदार है, ममता ने विनय को जिंदा रखा खुद में और उसके संग जी रही है हर पल, 

नम्रता विनय के ऊपर कुछ लाइंस जो अक्सर मैं सोचकर यूं ही लिखा करती हूं आज उसके पात्र नम्रता और विनय हैं...



 नम्रता : ( आसमान की तरह तारों को बस मौन होकर निहार रही है पास में रजनीगंधा के फूलों को छूती हुई हवा उसके चेहरों को छू रही है, हाथ में गरमा गरम चाय की तभी पास में उसने देखा कि उसके हाथों के साथ किसी और के हाथों की उंगलियों का एहसास छूता हुआ गर्म चाय के कप को पकड़ा हुआ है..)


नम्रता : बराबर में बड़ी-बड़ी आंखों से थोड़ा गुस्से से निहारते हुए और कहते हुए मिल गया तुमको वक्त.?? आ गई मेरी याद..??


विनय : चाय का कप उसके हाथ से लेते हुए मेरी नमो कम गुस्सा हुआ कर वरना नाक तेरी मोटी हो जाएगी

चाय गरम है अभी भी और मैं देख़ आ गया


नम्रता : यही वह वक्त होता है जहां तुम्हारे और मेरे सिवा कोई नहीं होता थोड़ा जल्दी आ जाया करो...


विनय : मैं होता तेरे साथ हर पल हूं बस चुपके से तुमको निहारता रहता हूं सबके बीच में से और देखकर खुश होता हूं मेरी कोमल सी नम्रता जो अपने नाम की तरह नम्र थी, कब इतनी बहादुर बन गई कि सारी जिम्मेदारियों को बहुत अच्छे से निभाती हुई जा रही है ...


नम्रता : बहुत याद आते हो तुम, हर वक़्त हर लम्हा ( धीरे से बोलते हुए )


विनय : ( थोड़ा और पास आते हुए ) मैं हमेशा तेरे साथ हूँ जब कभी यह रजनीगंधा की खुशबू हवा के साथ मिलकर तुम को छुए तो मैं उस में हूं, जब कभी मेरे फोटो के आगे गुलाब रखोगी मैं उसमें भी हूं और दो खूबसूरत प्यारे हमारे बेटे जश और देव उनमें मैं ही हूं, मैं कभी अलग नहीं हो सकता जानू 


नम्रता : विनय याद है जब हम पहली बार मिले थे बचपन खत्म ही हुआ था कि तुम मिल गए, कितना सारा सफर हमने साथ में जिया एक अल्हड़ लड़की से संपूर्ण नारी बना दिया 


विनय : सुनो जानू तुम बिंदी जरूर लगाया करो मुझको तुम्हारे बड़े माथे पर बिंदी बहुत पसंद है उस माथे पर बिंदी में "मैं" हूं


नम्रता : बस आंखों में आंसू लिए और कहती हुई बस इसीलिए ही लगाती हूं , क्योंकि शुरू से तुमको मैं ऐसी ही पसंद थी और मैं हमेशा ऐसी ही रहूंगी क्योंकि तुम मेरे पास हो


विनय : अच्छा सुनो कल तुम गुलाबी वाली साड़ी पहनना तुम पर वह खूब जचती है और बहुत दिन हुए खीर नहीं बनाई मीठा खाना भूल गई है क्या..??? कल बनाना और तुम तीनों खाना,बहुत मन है खीर खाने का, इस बार मेरे नाम की खीर वाली कटोरी किसको खिलाओगी खुद खाओगी या फिर जश और देव को खिलाओगी..??


नम्रता : मुस्कुराते हुए -- अच्छा जी कल गुलाबी साड़ी और खीर दोनों आपके मन की और कुछ


विनय : बस तुम अपना ध्यान रखा करो मेरे उन दो अनमोल रतन के लिए जो तुम्हारे पास हैं, काम अब कुछ ज्यादा है जानता हूं उस जिम्मेदारियां अकेले ही संभालनी होंगी पर तुमको अपना ध्यान खुद ही रखना होगा


नम्रता : ( सिर्फ हौले से एक आवाज आई ) हमममममममम


 और इसी बीच छोटा बेटा नींद से जाग कर मां को ढूंढने लगा और आसपास देखते हुए बोला मां किस से बात कर रही थी..?? ठंड लग जाएगी, रात बहुत हो गई है

चलो आओ अंदर सोते हैं ---


 और मैं अंदर जाते हुए आसमान में तारों के झुंड में से एक अपने खास तारे को निहारती हुई और चुपके से बुद बूदाती हुई आसमां को देखते हुए फिर कल मिलेंगे पर तुम थोड़ा जल्दी आना तुमको बताना भी है खीर कैसी बनी है और गुलाबी साड़ी में मैं कैसी लगी

 गुड नाइट

 श्री राधे कृष्णा



नम्रता : तुम्हारे रहने की जगह अब मैंने खुद में बनाई है... तुम जहां पांच तत्व में विलीन हुए हो अब तुमको मिट्टी,रेत,पत्थर, के बने घर में रहना रास नहीं आएगा,

 अब तुम मेरे अंदर समा चुके हो और वही तुम्हारा नया घर है

" तुम अब मुझमें बसते हो "


  सही मायनों में इसको भी दो आत्माओं का मिलन ही कहते हैं ||



यह है नम्रता और विनय की प्रेम कहानी के कुछ अंश,


  जितना मैंने नम्रता को जाना उतना खुद से मिलाकर कागजों पर ढाल दिया, पर अभी बहुत कुछ सुनना बाकी है नम्रता से.....


 रुचि रूह





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