"एक लापता यादों से भरा बैग "

"एक लापता यादों से भरा बैग " आज परिवार के साथ कहीं बाहर खाना खाने गई थी, गई तो थी ख़ुशी का जशन मनाने पर लौटी ग़ुजरी यादों के साथ, यादें एक दूसरे से जुड़ी होती है और कई बार बेजान चीजें भी यादों के भॅवर में ले जाती है कुछ ऐसा ही आज हुआ मेरे साथ..... हम सब एक दूसरे से बातें कर रहे थे पर बार-बार मेरी नजर पास रखें एक "काले बैग" पर जा रही थी, मैं चुपके से उसे देख़ रही थी और बीच - बीच में सबकी बातों के साथ उनकी बातों में मैं भी हसीं का तड़का लगा रही थी... और चुपके से तिरछी निगाह के साथ बार-बार उस बैग को भी देख रही थी, मन में एक विचार बार-बार आ रहा था यह अकेला क्यों है..??? किसका है..?? कोई दिख क्यों नहीं रहा इसके पास..?? बहुत सारे सवाल मन में चल रहे थे, बहुत देर हुई और और बेजान सा बैग चुप होकर भी मुझसे बहुत सी बातें कर रहा था और वो वार्तालाप सिर्फ उसके और मेरे बीच हो रही थी... मैंने सबकी निगाहों से बचकर उस ब्लैक बैग को अपने बराबर वाली सीट पर ...