अम्मा याद आई ( village )


 "मेरा गांव का परिवार और मेरी

 सूत्रधार अम्मा आज बहुत याद आई"



 बहुत दिनों के बाद आज अम्मा याद आई

नीम का वही पेड जो कड़वा था पर उसके

नीचे चूल्हे की रोटी और मीठी लौंजी की

सब्जी जो की सच में बहुत मीठी थी ||


एक कोने में रखा होता था मटके का ठंडा

ठंडा पानी और उसके पास अम्मा की बहुत

सारी कहानी, आज सच में अम्मा बहुत याद

आई, वो गांव का घर हो या खेत या फ़िर हो 

घेर हर तरफ़ बस हरियाली और खुशहाली

थी,औपचारिकता नहीं बस अपनापन था ||


अम्मा का वो भोलापन आज भी याद आता है

"भईया राम राम कह रही है टेलीविजन पर जे

बड़ी मलूक है मेरी भी राम-राम कह दियो इससे"

 हम सब का फ़िर ठहाके लगाकर हसीं के साथ

लोटपोट हो जाना, आज सच में अम्मा बहुत

 याद आई ||


वो गांव जाकर कमरों में ना सोना, छत पर

तारों की छाव और ठंडी हवा के बीच खुले

आसमां को देखते देखते आँख बंद हो जाना

और जब भी कोई पेड़ या हलचल हो कसकर

आँखों को बंद कर लेना सच में बहुत याद

आता है, अब अम्मा का घर बहुत याद आता है||


खाली जेबों ने गांव की रौनके कम कर दी

जादुई शहरों ने गावों की हरियाली बेगानी

कर दी, जहाँ पांच घर का एक चूल्हा देखा

था हमने,आज पांच घरों में आग जलते

देखा है हमने ||



यहाँ हर चीज़ो को किस्तों में बटते देखा है

हमने , वहां हर बात पर अपनों को कुछ देते

हुए देखा है मैंने, युग बदल रहा है पर एक

साफ सुथरा माहौल देखा है मैंने, अब सच

में मेरी भोली भाली पोपली सी मेरी अम्मा

और अम्मा का घर और मेरा वो गांव का परिवार

 सच में बहुत याद आता है ||


Ruchirooh 

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

प्रकृति की एक और खूबसूरत कहानी ( birds story )

मीठे के शौक़ीन पंडित और उम्र के साथ किस्तों में बिखरा मीठा (pandit or meetha )

दो गिलसियां वाली चाय ( old couple story )