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Showing posts from November, 2022

तुम आना ( tum aana )

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 फेहरिस्त (सूची) किस्सों की लंबी है मेरी ज़रा वक़्त थाम के आना, किस्सा हर एक उम्र के पड़ाव का है बस तुम वक़्त बहुत सा लेकर आना || कुछ खट्टा तो कुछ मीठा सा है,वक्त बस गुजर रहा है हर पल किस्सा दे रहा है,यहां बातों का समंदर है  तुम जरा समुंदर किनारे वक्त निकाल कर आ जाना कुछ पर्वतों की कहानियां है तो कुछ  चांद तारों की जुगलबंदी हैं तुम सुनना  हर किस्सा मेरा पर बस वक्त जरा थाम के ले आना || हकीकत से ज्यादा ख्वाब देखती है आंखें मेरी जिंदगी का पता नहीं कब साथ छोड़ दे मेरा  इसलिए हकीकत में कम ख्वाबों में जीती हूं तुम बस ख्वाबों को समेटने आ जाना || लम्हों को तो कुछ बातों को छुपा कर किसी तिजोरी में संभाल कर रख दिया है तुम बस उस तिजोरी का चाबी ले आना || जब आओ तो थोड़ी जिम्मेदारियां छोड़ के आना,अपना बड़प्पन वहीँ किसी कोने में रख आना, मेरे पास आकर खुद को पाना जो फ़ना किया हर बार उसको पा जाना  बस जरा वक्त के साथ आना || Ruchirooh

अम्मा याद आई ( village )

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 "मेरा गांव का परिवार और मेरी  सूत्रधार अम्मा आज बहुत याद आई"  बहुत दिनों के बाद आज अम्मा याद आई नीम का वही पेड जो कड़वा था पर उसके नीचे चूल्हे की रोटी और मीठी लौंजी की सब्जी जो की सच में बहुत मीठी थी || एक कोने में रखा होता था मटके का ठंडा ठंडा पानी और उसके पास अम्मा की बहुत सारी कहानी, आज सच में अम्मा बहुत याद आई, वो गांव का घर हो या खेत या फ़िर हो  घेर हर तरफ़ बस हरियाली और खुशहाली थी,औपचारिकता नहीं बस अपनापन था || अम्मा का वो भोलापन आज भी याद आता है "भईया राम राम कह रही है टेलीविजन पर जे बड़ी मलूक है मेरी भी राम-राम कह दियो इससे"  हम सब का फ़िर ठहाके लगाकर हसीं के साथ लोटपोट हो जाना, आज सच में अम्मा बहुत  याद आई || वो गांव जाकर कमरों में ना सोना, छत पर तारों की छाव और ठंडी हवा के बीच खुले आसमां को देखते देखते आँख बंद हो जाना और जब भी कोई पेड़ या हलचल हो कसकर आँखों को बंद कर लेना सच में बहुत याद आता है, अब अम्मा का घर बहुत याद आता है|| खाली जेबों ने गांव की रौनके कम कर दी जादुई शहरों ने गावों की हरियाली बेगानी कर दी, जहाँ पांच घर का एक चूल्हा देखा था हमने,आज...

प्यार का एहसास ( feeling of love )

 एहसासों का रिश्ता है बस ये प्यार का, कभी बचपन का तो कभी एक उम्र के बाद का। कभी मिलना कभी बिछड़ना पर दूर होकर भी, खुद में महसूस करना, प्यार एक एहसास है । कभी सुबह के जैसी ताज़गी तो कुछ ओसों को छूकर,  मन को भिगो देने वाली अनुभूति। तो कभी शाम के जैसी उदासी जैसे,सूरज  के दिन के ख़तम होने की कहानी। पर फिर भी रातों में जुगनू की तरह चमकती,इसकी हर एक कहानी। और सकरात्मकता लिये फिर से,उजाले की तरफ एक कदम और लिये इसकी जुबानी प्यार एक एहसास है । कभी दर्द है तो कभी सुकून है, बहुत से एहसासों का समावेश है। कई एहसासों के बीच ये बहुत ख़ास है, प्यार एक एहसास है। कोई पास ना होकर भी कितना करीब है, अजीब सी जैसे कोई हलचल है। हर वक़्त रहता है कोई करीब,मानों जैसे खुद में समाया हो, दो जिस्म एक जान हो प्यार एक एहसास है। बंधनों में भी ना बंध सके ऐसा कुछ ये प्यार है, पूरा ना होकर भी ये खुद में परिपूर्ण है.. प्यार एक एहसास है जिसको हुआ, उसका जीवन ख़ास है।  प्यार एक एहसास है प्यार एक एहसास है... Ruchirooh

मीठे के शौक़ीन पंडित और उम्र के साथ किस्तों में बिखरा मीठा (pandit or meetha )

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 "मीठे के शौकीन पंडित और  उम्र के साथ किस्तों में बिखरा मीठा " मेरे शर्मा जी ( मेरे Papa ) को मीठा बहुत पसंद है, तो मीठा तो पंडितों की पहचान होती है ना अक्सर हम शादियों में जब जाया करते थे वहां दो पंडितों का जोड़ा फेमस हुआ करता था एक मेरे पापा दूसरे उनके खास दोस्त और मेरे राधे-राधे वाले अंकल गिरजेश पंडित जी.... गरमा गर्म गुलाब जामुन हो या फिर जलेबी या हो फ़िर रबड़ी होड़ लगती थी 2 पंडितों में कौन कितनी खाएगा, हमारा जहां दो में ही काम तमाम होता था वहां उन दो पंडितों की शुरुआत होती थी होड़ पर होड़ और हम बस देखते थे मुस्कुराते हुए सिर्फ़ देख़ते थे दो पंडित यारों को.... मेरे पंडित जी को रबड़ी हो या रसमलाई या फिर हो घी बुरा उनको शुरू से मीठा बहुत पसंद था, बस तभी से मैंने सोचा जब बड़ी होगी तब मैं भी माँ जैसी जलेबी या माल पूआ बनाउंगी... शर्मा जी को खूब जी भर के मीठा खिलाऊंगी.... आज जब बड़े हुए तो मीठा तो है पर टुकड़ों में खाया जाता है, आज जब खिलाने वाली हुई तो उनका मीठा बहुत कम हो गया एक और मन की हसरत मन में ही रह गई... शर्मा जी को जी भर के मीठा खिलाने की हसरत... मैं भूल गई थी बड़ी मैं ही ...