Posts

Showing posts from April, 2023

चाय की एक मेरी दोस्त ( Chaay or dost )

Image
"चाय की मेरी एक दोस्त"  सुबह की दूसरी चाय और किसी का इंतजार.... मुझको मेरी चाय पीने वाली दोस्त का इंतजार और उसको एक प्याली चाय का...    बड़ा ही अच्छा रिश्ता है हमारा  सिर्फ़ उसको ही नहीँ मुझको भी उसकी ज़रूरत है, घर को खुबसूरत बनाने में वो मेरा साथ जो देती है...  खुश रहती हूं मैं जब वह कहती है दीदी मुझको आपके यहां बहुत अच्छा लगता है,  बस मानो मुझको क्या मिल गया,  उसको पता है मुझको सिलबट्टे की चटनी कितनी पसंद है बस कहना ही नहीं पड़ता जब खुद के लिए बनाती है मेरे लिए थोड़ा सा ले आती है इतना स्वाद तो मुझको मेरी मिक्सी की चटनी में भी नहीं आता जितना उसके सिलबट्टे की चटनी में आता है जब भी वह दरवाजे पर खटखट करती है मुझको खुशी मिल जाती है दीदी मैं आ गई राधे राधे और मेरा  अस्सलाम वालेकुम हम दोनों को ही बहुत अच्छा लगता है वह भी मुस्कुरा जाती है और मैं भी, यही हमारे कई फासले खत्म हो जाते हैं दीदी क्या क्या लिखती हो कुछ समझ नहीं आता पर शायद अच्छा लिखती होगी "मुझ पर भी कुछ लिखो ना" उसका यह अधिकार से कहना मेरे दिल को भा जाता है बस बस थोड़ा सा उसको और अच्छा लग ...

दो गिलसियां वाली चाय ( old couple story )

Image
एक के चेहरे पर मुस्कान है तो एक के चेहरे पर चिंता अम्मा के चेहरे पर झुंरिया के साथ मुस्कान इस बात की शहर से कोई आया उनके घर उनके हाथों की चाय पीने.... और बाबा के चेहरे पर चिंता इस बात की कोई उनकी पेंशन की चिंता दूर कर दे, उनकों कहीं से पता चला की अब घंटो लाइन में लगे बिना ही घर पर रहकर ही अब ऑनलाइन पेंशन का काम हो सकता है , एक अख़बार को हाथों में दबाकर पूछ रहे थे बाबू ज़ी कैसे पता करुँ..?? कहाँ जाऊं..?? आप पढ़े-लिखे साहब हो कुछ बताओ इस बारे में बाबा माथे पर बहुत सारी चिंताओं की लकीरों के साथ पूछ रहे और पीछे खड़ी थी अम्मा वो ख़ुश इस बात से थी की उनके यहाँ की चाय हमने पी थी, वो चाय बेशकीमती पैसों की थी उस चाय के आगे 5 star की चाय भी फीकी थी, अम्मा ने बनाई ही इतने प्यार से थी... थोड़ा सकुचा कर बोली वो चाय के कप नहीं है मंगवा दूं किसी दूकान से, मैने मुस्कुरा कर कहा अम्मा तुम किसमें पीती हो उसमें ही पिला दो, बेटा छोटी-छोटी स्टील की ग़लसीयां हैं पी लोगी.. अम्मा छोटी हैं तो दो लाना एक से काम नहीं चलेगा मेरा और ये सुन वो ख़ुश हो गई...  पर्दा हटा कर कमरे में चाय बनाने अंदर गई तो धीरे से पीछे से ...

"लाड़ो रानी " ( hostel life )

Image
अब कुछ नए से चेहरे दिख रहे हैं मेरी छोटी सी बच्ची के कुछ और    नए दोस्त बन रहे हैं, कितनी मुश्किल थी वो रात जब पहली बार उससे अलग हुई थी, आँखों में ढेर सारे आंसूओ को  छुपाकर उसको समझा रही थी, तभी पीछे से कुछ प्यारी सी बच्चियां आई और उसको गले से लगा कर बोली, हम हैं ना, हम धयान रख लेगी इसका, आप आराम से जाओ मेरी छोटी सी लाडो अब बड़ी सी हो रही थी, जो शाल को पहनना old fashion माना करती थी, वो जाते हुए मेरा शॉल माँग रही थी... उसके मन में बहुत सारे सवालों में से एक सवाल मेरे पास आकर धीरे से वो बोली, मां सुबह दो चोटियां  गूथ कर कैसे बनाउंगी, तभी फ़िर से परियों के झुंड में से बहुत सी आवाजें एक साथ आई हम हैं ना, सच में मन ख़ुश हो गया  छोटे बच्चों को संभालने वाली दोस्त कहुँ या बड़ी बहन या बच्चों की मासी जैसी कल्पना, उनकों ढेरों बाते समझा कर आई मैं, क्या करुँ मां हूँ ना, मन में ढेरों बाते थी और उन्होंने बस ये कहा " मैं हूँ ना " संभल जाएगी ये दूसरी तरफ़ सीमा ज़ी ने भी उसको गले से लगा लिया, सीमा ज़ी बोली कोई दिक्कत होगी हम ध्यान रखेंगे इसका, आप निश्चिंत होकर जाओ यहाँ से... फ़िर जाते...